Friday, 23 January 2015














आप सभी को २६ जनवरी की एडवांस हार्दिक शुभकामनाये ............

भारत में गणतंत्र दिवस २६ जनवरी को मनाया जाता है , १९५० में २६ जनवरी को भारत में नया संविधान , भारत का संविधान लागु हुआ था ! और यही संविधान हमें ताकत देता है १ मजबूत सरकार चुनने का ... १ योग्य उम्मीदवार चुनने का .....  
आप सभी से मेरा एवम मेरे दोस्तों विवेक , राहुल , अखिल , अमित ,आनंद एवम महिदपुर रोड के सरे युवा निवेदन है की पंचायत चुनाव में इस ताकत का उपयोग करे एवम योग्य उम्मीदवार का चयन करे ..... जो अपने गाव का विकास कर सके .....
मैंने और मेरे दोस्तों ने कई बार प्रयास किया है की हम अपने विचारो से एवम सोच से महिदपुर रोड के लिए कुछ नया करे पर कहते है न जब तक आप का कोई अपना सत्ता में न हो तब तक  आप चाह  कर   भी कुछः नहीं कर सकते .......
और  आज हमारे बड़े भाई सत्यनारायण पाटीदार जपनत चुनाव के लिए वार्ड २ से खड़े हुवे है तो १ नयी उम्म्मीद जगी है, उम्मीद विकास की , उमीद तरक्की की .....

इसलिए इस उम्मीद की लो को जलाये रखने क लिए वोट करे भाई सत्यनारायण पाटीदार को एवम ज्यादा से ज्यादा मतों से विजय बनावे .... ताकि हमारी उम्मीदों को १ नयी उड़ान मिल सके .....

ये हमारा वादा है आप से हमारा  आप को निराश नहीं करेंगे , और यही वादा मै आप से चाहता हु की आप हमारे महिदपुर रोड को निराश नहीं करेंगे और भाई सत्यनारायण पाटीदार को फसल काटता किसान का बटन दबा कर विजय बनावेंगे. 

जय हिन्द ! जय भारत ! जय महिदपुर रोड ..............................................

निवेदक  

आप का अपना  
दिनेश पाटीदार 

Wednesday, 21 January 2015

मै दिनेश पाटीदार एवम मेरे दोस्त

पिछले ५ सालो में जो हालत है उसे देख कर लगता है की हमें जरुरत है परिवर्तन की , हमें जरुरत है बदलाव की !!!
और ये बदलाव तभी आएगा जब १ योग्य उम्मीदवार आप चुनेंगे ......
योग्य उम्मीदवार की क्या परिभासा है ..................
शायद में अपने शब्दों में कहूँगा तो योग्य उम्मीदवार वो है जो आप की जरुरतो को समजे एवम आप के सपनो को अपना समज़ कर काम करे , योग्य उम्मीदवार वो है जिसमे लीडरशिप की क्वालिटी हो , जिसका एजुकेशन बैकग्राउंड मजबूत हो ............ जिसकी टीम में गाव के भावी युवा हो
क्या उम्मीदवार का पड़ा लिखा होना इतना जरूरी है .............. जी हा जो व्यक्क्ति चुनाव में आप के सपने पुरे करने क लिए खड़ा होने वाला है उसका शिक्षित होना बहुत जरुरी है ........... १ शिक्षित उम्मीदवार में डिसिशन लेने की ताकत होती है .... सही गलत का फैसला करने की योग्यता होती है ... और समय के साथ परिवर्तन की जरुरत को वो समज़ता है ..... सरकार की योजनाओ को आप तक सही तरीके से पेश कर सकता है और गाव के भावी लोगो को साथ रख कर इस गाव का विकास कर सकता है .
मै दिनेश पाटीदार एवम मेरे दोस्त विवेक , अखिल , राहुल , आनंद आप से ये अनुरोध करते है की सही उम्मीदवार का चयन करे ताकि बाद में पछतावा न हो .....
टीम सत्यनारायण पाटीदार
१. दिनेश पाटीदार ( मैकेनिकल इंजीनियर ) ,
२. विवेक मंडोवरा (सीए )
३. राहुल ( बी फार्मा)
४. अखिल ( फाइनेंस एडवाइजर )
५. आनंद ( बिज़नेस मैन)
६. होलिका ( एम बी ए)
७. ऋतू ( एमएससी केमिस्ट्री )
८. मेरे सारे युवा दोस्त जो चाहते है इस गाव का भी सही तरीके से विकास हो
जिस उम्मीदवार की टीम इतनी मजबूत है , वो टीम अपने गाव के लिया क्या नहीं कर सकती , और जो कर सकती है वो आप आप सब जानते हैं !!! इसलिए योग्य उम्मीदवार को ही चुने

Tuesday, 20 January 2015

सब्र का फल, Inspirational Hindi Story of Buddha

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे|
एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गाँव में भ्रमण कर रहे थे| उन दिनों कोई वाहन नहीं हुआ करते थे सो लोग पैदल ही मीलों की यात्रा करते थे| ऐसे ही गाँव में घूमते हुए काफ़ी देर हो गयी थी| बुद्ध जी को काफ़ी प्यास लगी थी| उन्होनें अपने एक शिष्य को गाँव से पानी लाने की आज्ञा दी| जब वह शिष्य गाँव में अंदर गया तो उसने देखा वहाँ एक नदी थी जहाँ बहुत सारे लोग कपड़े धो रहे थे कुछ लोग नहा रहे थे तो नदी का पानी काफ़ी गंदा सा दिख रहा था|
शिष्य को लगा की गुरु जी के लिए ऐसा गंदा पानी ले जाना ठीक नहीं होगा, ये सोचकर वह वापस आ गया| महात्मा बुद्ध को बहुत प्यास लगी थी इसीलिए उन्होनें फिर से दूसरे शिष्य को पानी लाने भेजा| कुछ देर बाद वह शिष्य लौटा और पानी ले आया| महात्मा बुद्ध ने शिष्य से पूछा की नदी का पानी तो गंदा था फिर तुम साफ पानी कैसे ले आए| शिष्य बोला की प्रभु वहाँ नदी का पानी वास्तव में गंदा था लेकिन लोगों के जाने के बाद मैने कुछ देर इंतजार किया| और कुछ देर बाद मिट्टी नीचे बैठ गयी और साफ पानी उपर आ गया|
बुद्ध यह सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी कि हमारा ये जो जीवन है यह पानी की तरह है| जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं तब तक सब कुछ शुद्ध है, लेकिन जीवन में कई बार दुख और समस्या भी आते हैं जिससे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है| कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुराई को देख कर घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर वापस लौट जाते हैं, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जो धैर्यशील होते हैं वो व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद गंदगी रूपी समस्याएँ और दुख खुद ही ख़त्म हो जाते हैं|
तो मित्रों, इस कहानी की सीख यही है कि समस्या और बुराई केवल कुछ समय के लिए जीवन रूपी पानी को गंदा कर सकती है| लेकिन अगर आप धैर्य से काम लेंगे तो बुराई खुद ही कुछ समय बाद आपका साथ छोड़ देगी|
reference : http://www.hindisoch.com/inspirational-hindi-story-of-buddha/#.VL8x6keUeYI
thank you hindisoch.com